आमजन की खुशहाली, समृद्वि एवं विकास को केन्द्र मे रखकर किया गया शोध कार्य

दीपक मिश्रा 

आमजन की खुशहाली, समृद्वि एवं विकास को केन्द्र मे रखकर किया गया शोध कार्य आज की प्रमुख जरूरत है। व्यवहार मे मैटलिक विचारधारा तथा बढती आवश्यकताओं से विकास के बढते आयाम एवं बढती जरूरत के कारण किसी भी क्षेत्र मे शोध की प्रासंगिकता सबसे अधिक उपयोगी बनती जा रही है। यह विचार गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने मॉ शाकुम्भरी देवी विश्वविद्यालय, सहारनपुर के शोध कार्यो मे प्रवीण होने वाले नवागन्तुक शोधार्थियो को शोध के पूर्व एवं वर्तमान स्वरूप तथा उपयोगिता पर आयोजित व्याख्यान के अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये। 11 मार्च को प्रातः 11ः00 बजें से जे0वी0 जैन कॉलेज, सहारनपुर मे आयोजित व्याख्यान के अवसर पर डॉ0 चौहान ने कहॉ कि सत्य एवं ज्ञान के बीच अभ्यास का परिश्रम ही शोध है। कहॉ कि अन्वेषण करना जीवन का नीरस एवं सर्वाधिक श्रमोपयोगी कार्य है। अधिक ऊर्जा तथा परिश्रम की पश्चात किसी निष्कर्ष पर पहुॅचना तथा परिणाम से सामान्य जीवन की बेहतरी के विकल्प तलाशना सबसे ज्यादा जटिल कार्य है। देश के सभी विश्वविद्यालयों मे अलग अलग विषयों को लेकर शोध कार्य चल रहे है। लेकिन परिणाम स्वरूप कुछ शोध कार्य ही जीवन मे बेहतर साबित होते है, इसलिए शोध कार्यो के स्वरूप मे छोटे छोट स्टार्ट-अप, एप तथा एप्लिकेशन के माध्यम से बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे है। जिनके उपयोग से युवा वर्ग, महिलाएं, बच्चों सहित बुजुर्ग वर्ग भी लाभान्वित हो रहा है। डॉ0 चौहान ने कहॉ कि प्राचीनता का उपयोग आधुनिकता को लाने तथा आधुनिकता का उपयोग जीवन को सरल एवं सहज बनाने मे किया जाना ही शोध का प्रमुख उददेश्य है। जिसमे युवाओं की भागीदारी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम का संचालन कोर्डिनेटर डॉ0 संदीप कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। शोध के नवाचारियों ने कार्यक्रम मे ऑन-लाईन तथा ऑफ-लाईन दोनो माध्यमों से प्रतिभाग किया।

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