गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय मे मनाया विश्व ओलम्पिक दिवस

दीपक मिश्रा

 

2025 सक्रियता, सीखना एवं सोचना तीन आवश्यकताओं के परस्पर समन्वय से जनसामान्य का जीवन गतिमान एवं चलायमान बनता है। लेकिन जब यह समन्वय असन्तुलित होता है तब जनसामान्य सेे चलकर वैश्विक स्तर तक की व्यवस्थाओं को प्रभावित करके उनमे अस्थिरता पैदा करता है। जिसके कारण अशान्ति एवं भय का माहौल उत्पन्न होता है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय मे विश्व ओलम्पिक दिवस (23-जून) के उपलक्ष्य मे आतंकवाद एवं अशान्ति भरे वातावरण मे शान्ति की स्थापना पर परिसंवाद मे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि ओलम्पिक का महत्व विश्व मे शान्ति स्थापत्य से आरम्भ हुआ है। शान्ति जीवन का अमूल्य एवं सास्वत सत्य है जिसकी प्राप्ति जीवन का सर्वोपरि एवं सर्वोत्तम उदेश्य है। आज पूरा विश्व आतंकवाद, भय एवं अशान्ति से किसी न किसी रूप मे प्रभावित हो रहा है। भौतिक संसाधनों की बढती होड, बिगडती अर्थव्यवस्था वर्चस्व एवं सामर्थ्य शक्ति के लिए परमाणु एवं मिसाईल के प्रयोग का बढता खतरा इसके मूल मे निहित है। ऐसे मे चिन्तन एवं मंथन करने के लिए विश्व ओलम्पिक दिवस का महत्व ओर अधिक बढ जाता है। अस्थिरता के दौर को पुनः स्थिर बनाये रखने के प्रयासों मे खेल, संस्कृति एवं आपसी सौहार्द्र का होना अपने आप मे महत्वपूर्ण है। डॉ0 शिवकुमार चौहान ने परिसंवाद मे चर्चा के दौरान कहॉ कि अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी (आई0ओ0सी0) द्वारा पहली बार 23 जून 1948 को खेलों के माध्यम से ओलम्पिक मूल्यों का प्रचार प्रसार के उददेश्य से यह आयोजित किया गया था। 78 वर्षो की अनवरत यात्रा के अनेक पडाव पर खेलों के माध्यम से विश्व शान्ति को केन्द्र मे रखते हुये यह दिवस आज भी मनाया जाता आ रहा है। वर्ष 2025 मे विश्व ओलम्पिक दिवस की थीम मे मूव, लर्न तथा डिस्कवर को लक्ष्य के रूप मे रखा गया है। प्रत्येक व्यक्ति को विश्व ओलम्पिक दिवस पर तीन संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया जिसमे पहला संकल्प हर दिन कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधियॉ पैदल चलना, दौडना, साईकिल चलाना।
दूसरे संकल्प के रूप मे मानवता, समानता और खेल भावना जैसे ओलम्पिक मूल्यों को बढावा दे तथा तीसरे संकल्प मे नये खेलो को आजमाने और विभिन्न संस्कृतियों को जानने के लिए अवसर प्रदान करने का प्रयास करना सम्मिलित है। अन्त मे डॉ0 चौहान ने कहॉ कि एकल एवं सामूहिक प्रयासों के माध्यम से जटिल समस्याओं का सर्वानुकूल समाधान मिलना संभव है। इस अवसर पर प्रो0 रमेश कौशिक (शा0 शिक्षा), डॉ0 संजीव शर्मा (मनोविज्ञान), डॉ0 प्रीति (साहित्य), डॉ0 कुमकुम भारद्वाज (चित्रकला), डॉ0 सतेन्द्र सिंह(अर्थशास्त्र) सहित परिसंवाद मे शारीरिक शिक्षा जगत के विद्वान, खेल विशेषज्ञ, खेल संगठनों के प्रतिनिधि, आर्थिक मामलों के जानकार सहित शोध छात्र एवं युवा वर्ग ने ऑन-लाईन तथा ऑफ-लाईन माध्यम से परिसंवाद मे भाग लिया तथा अपने अनुभव साझा किये।

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