दीपक मिश्रा
हरिद्वार। अध्यात्म चेतना संघ की ओर से मोतीमहल मंडपम्, ज्वालापुर में आयोजित किये गये पूर्णाहुति यज्ञ अनुष्ठान के साथ ही आज विगत एक सप्ताह से चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा को विश्राम प्राप्त हो गया। मुख्य यजमान प्रभाष कंसल, श्रीमती ममता कंसल के साथ ही कथा के सभी 108 यजमान परिवारों, संस्था के पदाधिकारियों तथा सदस्यों ने कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र के पावन सान्निध्य में मंत्रोचारण के बीच भक्तिभाव से अपनी आहूतियाँ डालीं।
इसके पूर्व कथा को विश्राम देने के आचार्य करुणेश मिश्र ने गोवर्धन लीला, रुक्मिणी मंगल, भगवान दत्तात्रेय द्वारा बनाए गये 24 गुरुओं की कथा तथा भगवान के श्रीधाम गमन के साथ-साथ श्रीमद्भागवत के उत्तर महात्म का वर्णन भी किया। आचार्य ने बताया कि वस्तुतः न केवल राम और कृष्षा एक ही हैं, बल्कि भगवान के सारे स्वरूप एक ही हैं। भगवान तो भक्तों की भावनाओं के आधीन हैं। भक्त जैसा चाहता है, भगवान वैसा ही स्वरूप धारण कर भक्तों का कल्याण कर देते है। भगवान का प्रत्येक अवतार भक्तों को कृतार्थ करने व कष्टों से मुक्त करने के लिये ही होता है। उनके अवतारों सभी लीलाएँ मानव मात्र के कल्याण के लिये ही रची गयी हैं।”
अध्यात्म चेतना संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा मीडिया प्रभारी अरुण कुमार पाठक ने जानकारी दी कि संस्था द्वारा कल (रविवार को) मोतीमहल मंडप (ज्वालापुर) में 12 बजे से ‘विराट गीता महोत्सव-2025’ का आयोजन किया जायेगा, जिसमें संस्था द्वारा विगत माह आयोजित श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को प्रथम, द्वितीय व तृतीय के साथ-साथ प्रोत्साहन पुरस्कारों से सम्मानित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष की भाँति इस बार भी ‘गीता रत्न सम्मान’ तथा नगर की पाँच विभूतियों को समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिये हरिद्वार गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया जायेगा।