एससी एसटी आरक्षण में अप वर्गीय आरक्षण व क्रीम लेयर को लेकर दिए गए फैसले पर समस्त राजनीतिक संगठनों के द्वारा  ज्ञापन दिया

दीपक मिश्रा 

 

सर्वोच्च न्यायालय के 1 अगस्त 2024 के आदेश में एससी एसटी आरक्षण में अप वर्गीय आरक्षण व क्रीम लेयर को लेकर दिए गए फैसले पर असहमति व्यक्त करते हुए ज्ञापन,,
जिलाधिकारी कार्यालय समस्त समाज संगठनों के द्वारा महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री  भारत सरकार को समस्त समाज समस्त सामाजिक संगठनों के द्वारा समस्त राजनीतिक संगठनों के द्वारा आज ज्ञापन दिए गए इस अवसर पर श्यामल कुमार सदस्य अनुसूचित जाति आयोग उत्तराखंड के द्वारा भी एक ज्ञापन दिया गया जिसमें श्यामल कुमार जी द्वारा बताया गया संवैधानिक प्रधान और न्यायपालिका की भूमिका
संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 के अनुसार अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियों की सूची में परिवर्तन करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति को है और वह भी संसद की सलाह पर सर्वोच्च न्यायालय का आदेश इन संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है क्योंकि न्यायपालिका ने विधि का के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप किया है न्यायपालिका का कार्य विधि की व्याख्या और उसे लागू करने का है ना कि संविधान को संशोधन करने का
आरक्षण की अवधारणा,,, आरक्षण के मूल अवधारणा सामाजिक और शिक्षक सामान्य को सूचित करना है ना कि केवल आर्थिक लाभ प्रदान करना सर्वोच्च न्यायालय का आदेश अप वर्गीय आरक्षण और क्रिमिनल को लागू करने के माध्यम से इस अवधारणा को मोड़ना है जिस आरक्षण का मूल उद्देश्य कमजोर वर्गों का समान अवसर प्रदान करना कमजोर हो सकता है यह आदेश सामाजिक समानता और प्रतिदिन की मूल भावना के खिलाफ है
वैधानिक संशोधन की आवश्यकता
यदि इस आदेश को चुनौती दी जाती है तो इसे संविधान की धारा 368 के तहत संशोधन की आवश्यकता हो सकती है इसका तात्पर्य है कि इस विषय पर विधि का को निर्णय लेना होगा और न्यायपालिका को केवल उसकी व्याख्या तक सीमित रहना चाहिए विधि विशेषकों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश संवैधानिक प्रावधानों और आरक्षण की मूल अवधारणा के विपरीत है यह विधि का अधिकार क्षेत्र में हस्ताक्षर करता है और सामाजिक समानता को कमजोर करता है मैं श्यामल कुमार सदस्य अनुसूचित जाति आयोग इस आदेश के खिलाफ अपनी अस्ति प्रकट करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित कानूनी संवैधानिक कदम उठाए जाएं हमारी मांग है कि इस आदेश को रद्द किया जाए और अनुसूचित जातियों को जनजातियों के अधिकार की रक्षा की जाए धन्यवाद
ज्ञापन देने वालों में रमेश भूषण विनोद कुमार विजयपाल सिंह पूर्व पार्षद नेपाल सिंह पूर्व पार्षद मेहर चंद मास्टर मोदीमल किशोर पाल सिंह अरविंद कुमार सोनित कुमार एडवोकेट विजय पाल सिंह सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता कारण मौजूद रहे

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