दीपक मिश्रा
क्या इतिहास दोहरा पाएगी कांग्रेस या बीजेपी का फिर बनेगा मेयर यह प्रश्न अभी समय के गर्भ में है जहां कांग्रेस इतिहास दोहराने की तैयारी में लग गई है वहीं भाजपा जो वर्तमान में दो गुटों में दिखाई देती है अपना मेयर चुनवाने को आतुर दिखाई पड़ती है भाजपाइयों को ऐसा लगता है कि भाजपा के पक्ष में जो लहर दिखाई पड़ रही है उसे पर चढ़कर आसानी से मेयर पद को अपने कब्जे में ले लेंगे साथ ही भाजपाइयों को अपने संगठन पर भी पूरा भरोसा है कि वह अपने संगठन के दम पर आसानी से इस लड़ाई को जीत लेंगे क्योंकि कांग्रेस में संगठन का अभाव दिखाई पड़ता है यद्यपि जब से महानगर अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के एक गुटके अमन गर्ग की ताजपोसी हुई है तब से कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर दिखाई देने लगे हैं वहीं मेयर पति अशोक शर्मा भी जनहित के मुद्दों को जनता के मध्य उठाकर स्वयं को मेयर पद की दौड़ में बनाए रखे हैं वहीं कांग्रेसियों की उम्मीद कॉरिडोर योजना से भी है क्योंकि कांग्रेसियों को लगता है कि कॉरिडोर योजना जिसको लेकर व्यापारी डरे हुए हैं और यह डर भाजपा की लुटिया डुबाने में सहायक होगा वहीं भाजपा की जीत हार बहुत कुछ प्रत्याशी चयन पर भी निर्भर करेगी क्योंकि एक गुट का प्रत्याशी घोषित होते ही दूसरा धड़ा उसे जमीन दिखाने को तैयार हो जाएगा जो कांग्रेसियों के उत्साह का एक कारण है यही स्थिति कांग्रेस की भी दिखाई देती है वैसे तो कांग्रेस में उम्मीदवारों का अभाव दिखाई पड़ता है उसके बावजूद भी कुछ कांग्रेसियों ने पूर्व की भांति कमल खिलाने की तैयारी कर ली है कांग्रेसियों की गुटबाजी अलग-अलग प्रदर्शन करने से भी स्पष्ट दिखाई देती है कांग्रेस में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो मेयर पद की दावेदारी करने से बाज नहीं आ रहे हैं जिनका वजूद उनके वार्ड में ही जीरो दिखाई पड़ता है ऐसी स्थिति भाजपा में भी है कुछ नव धनाट्य अपने पैसे के दम पर भाजपा का टिकट लाने की जुगत में लग गए हैं और इन पूंजी पत्तियों को देखकर भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहा है और यह समर्पित कार्यकर्ता सोचने लगे हैं क्या बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर है और इन सब द्वंदों के बीच निगम क्षेत्र की जनता इन सब की नौटंकी देखकर मन ही मन आनंद ले रही है