भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात के अपने 126वें एपिसोड के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया।

दीपक मिश्रा 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात के अपने 126वें एपिसोड के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया।
रानीपुर विधानसभा के बूथ संख्या 68 राज बिहार, जगजीतपुर कार्यकर्ताओं द्वारा सुना गया जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा कहा गया कि यह पहल केवल अपनी बात कहने के लिए नहीं है, बल्कि इस देश के लोगों से जुड़ने का एक प्रयास भी है। आज एपिसोड के दौरान माननीय प्रधानमंत्री ने विभिन्न पहलुओं पर राष्ट्र को संबोधित किया।
अमर शहीद भगत सिंह, हर भारतवासी, विशेषकर देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज है। निर्भीकता उनके स्वभाव में कूट-कूट कर भरी थी। देश के लिए फांसी के फंदे पर झूलने से पहले भगत सिंह जी ने अंग्रेजों को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूँ कि आप मुझे और मेरे साथियों से युद्धबंदी जैसा व्यवहार करें। इसलिए हमारी जान फांसी से नहीं, सीधा गोली मार कर ली जाए। यह उनके अदम्य साहस का प्रमाण है। भगत सिंह जी लोगों की पीड़ा के प्रति भी बहुत संवेदनशील थे और उनकी मदद में हमेशा आगे रहते थे। मैं शहीद भगत सिंह जी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
आज लता मंगेशकर की भी जयंती है। भारतीय संस्कृति और संगीत में रुचि रखने वाला कोई भी उनके गीतों को सुनकर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता। उनके गीतों में वो सब कुछ है जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोरता है। उन्होंने देशभक्ति के जो गीत गाए, उन गीतों ने लोगों को बहुत प्रेरित किया। भारत की संस्कृति से भी उनका गहरा जुड़ाव था। मैं लता दीदी के लिए हृदय से अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करता हूँ। साथियो, लता दीदी जिन महान विभूतियों से प्रेरित थीं उनमें वीर सावरकर भी एक हैं, जिन्हें वो तात्या कहती थीं। उन्होंने वीर सावरकर जी के कई गीतों को भी अपने सुरों में पिरोया।
प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में मनाए जा रहे नवरात्रि के अवसर का भी उल्लेख किया और भारतीय सेना के दो अधिकारियों के बारे में बताया।
नवरात्रि के इस समय में हम शक्ति की उपासना करते हैं। हम नारी-शक्ति का उत्सव मनाते हैं। व्यापार से लेकर खेल तक और शिक्षा से लेकर विज्ञान तक आप किसी भी क्षेत्र को लीजिए ।
देश की बेटियाँ हर जगह अपना परचम लहरा रहीं है। आज वे ऐसी चुनौतियों को भी पार कर रही हैं, जिनकी कल्पना तक मुश्किल है। अगर मैं आपसे ये सवाल करूं, क्या आप समंदर में लगातार 8 महीने रह सकते हैं! क्या आप समंदर में पतवार वाली नाव यानि हवा के वेग से आगे बढ़ने वाली नाव से 50 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं, और वो भी तब, जब, समंदर में मौसम कभी भी बिगड़ जाता है! ऐसा करने से पहले आप हजार बार सोचेंगे, लेकिन भारतीय नौसेना की दो बहादुर अधिकारियों ने नाविका सागर परिक्रमा के दौरान ऐसा कर दिखाया है। उन्होंने दिखाया है कि साहस और दृढ़ संकल्प होता क्या है। आज मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को इन दो जांबाज़ अधिकारियों से मिलवाना चाहता हूँ। एक हैं Lieutenant commander दिलना और दूसरी हैं Lieutenant commander रूपा। ये दोनों officers हमारे साथ phone line पर जुड़ी हुई हैं।
इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष लव शर्मा , मंडल उपाध्यक्ष अनुज त्यागी जी, बूथ अध्यक्ष विजेंद्र पुंडीर जी, अवधेश झा जी,प्रदीप सैनी, राजकुमार सिंह जी,राजू जोशी जी,संजीव मुखिया जी , गोपाल सिंह जी,अशोक कुमार दिवाकर जी,अमन पुंडीर जी,कमल मिश्रा जी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *