श्री दक्षिण काली मंदिर में किया डांडिया उत्सव एवं गरबा रास का आयोजन अनेका में एकता का संदेश देते हैं भारतीय पर्व-स्वामी कैलाशानंद गिरी

दीपक मिश्रा

हरिद्वार, 29 अक्तूबर। आश्रय सोसायटी की और से नीलधारा तट स्थित सिद्धपीठ श्री दक्षिण काली मंदिर में डांडिया उत्सव एवं गरबा रास का आयोजन किया गया। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, स्वामी राधेबाबा व विधायक संगीत सोम ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में रंग-बिरंगे परिधानों में सजे कौशिक आर्ट ग्रुप के कलाकारों ने लय ताल के साथ डांडिया एवं गरबा की शानदार प्रस्तुति दी। भजन गायक राघव एवं हंसिका ने भजनों की प्रस्तुति दी। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति अद्भुत है। अनेकता में एकता का संदेश देते हुए भारतीय अपने त्यौहार मनाते हैं। सनातन धर्म में शक्ति की अपनी महत्ता है। शक्ति स्वरूपा नवदुर्गा को प्रसन्न करने के लिए ही गरबा-डांडिया नृत्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद लोगों की सेवा और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किए जा रहे आश्रम सोसाटी के प्रयास सराहनीय हैं। इससे प्रेरणा लेकर सभी को महिलाओं व कन्याओं का सम्मान करने के साथ उनके संरक्षण संवर्द्धन में भी योगदान करना चाहिए।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि देवी दुर्गा को समर्पित गरबा नारीत्व के सम्मान का प्रतीक भी है। देवी दुर्गा द्वारा राक्षसों का वध करने के बाद नवरात्र का उत्सव मनाया गया और देवी को प्रसन्न करने के लिए गरबा नृत्य किया गया। आश्रय सोसायटी की अध्यक्ष शिवानी पांडे ने कहा कि डांडिया और गरबा देवी दुर्गा की आराधना को समर्पित नवरात्र का महत्वपूर्ण अंग और भारत की पौराणिक नृत्य विधा है। विधायक संगीत सोम ने कहा कि आदिशक्ति के सम्मान में किया जाने वाला भारतीय संस्कृति की पहचान है। जिसे आज पूरी दुनिया अपना रही है। विधायक संगीत सोम, सिमरन सिंह सोम, स्वामी अंवंतिकानंद ब्रह्मचारी, अनुराग वाजपेयी, स्वामी अनुरागी महाराज, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, आचार्य पवन दत्त मिश्रा, आचार्य प्रमोद पांडे, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी नीरा कौशिक ने सभी अतिथीयों का स्वागत किया। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, राधे बाबा एवं विधायक संगीत सोम ने सभी कलाकारों को पुरूस्कार प्रदान कर सम्मानित किया और आश्रम सोसायटी की और से दिव्यांगजनों को ट्राई साईकिल वितरित की।

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