व्यक्ति को स्वस्थ्य रहने के लिए सामान्य रूप से परिश्रम करने की जरूरत है।

दीपक मिश्रा 

 

हरिद्वार-23 जून व्यक्ति को स्वस्थ्य रहने के लिए सामान्य रूप से परिश्रम करने की जरूरत है। किन्तु परिश्रम के साथ तनाव का होना भी स्वाभाविक है। परिश्रम के साथ तनाव न हो ऐसा केवल खेलों के माध्यम से ही संभव है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय मे शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डाॅ0 शिवकुमार चैहान ने 23 जून अन्तर्राष्ट्रीय खेल दिवस पर संवाद कार्यक्रम मे बोलते हुये कहाॅ कि जीवन मे उतार-चढाव को समायोजित रखने मे खेल एकमात्र युक्ति है जिसमे कम इन्वेस्ट करके भी अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। खेलों मे सम्मिलित होने वाला व्यक्ति जीवन मे तनाव रूपी बीमारी से दूर रहता है। उन्होने कहाॅ कि खेल तथा स्वास्थ्य जीवन के बहुउपयोगी आयाम है। जिसमे एक के साथ दूसरा स्वतः ही मुफ्त मिलता है। इसलिए जीवन मे खेलो को सम्मिलित करने से बेहतर स्वास्थ अर्जित किया जा सकता है। 23 जून को खेल और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना इसी दिन 1894 में हुई थी। यह ओलंपिक अवधारणा पर जोर देती है और इस संदेश का प्रचार करती है कि खेल स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। खेल हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसे विश्व स्तर पर मनाया जाना चाहिए। खेल वास्तव में लोगों को एक साथ लाते हैं। हर खेल में प्रशंसक प्रतिद्वंद्वी होते हुए भी प्यार फैलाते हैंए और यही संदेश विश्व ओलंपिक दिवस की मदद से फैलाया जाना चाहिए।
डाॅ0 शिवकुमार चैहान ने कहाॅ कि तनाव से बचने एवं स्वस्थ्य जीवन की संकल्पना केवल मात्र खेलों से ही पूरी की जा सकती है। इसलिए प्रसन्न रहने के लिए जीवन मे खेलो का होना जरूरी है। यह दिन खेलए स्वास्थ्य और एकजुटता का जश्न मनाने का दिन है। यह अवसर पूरी दुनिया के लोगों को क्रियाशील बनने और उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इसी दिन पेरिस के सोरबॉन में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना की गई थी। पियरे डी कौबर्टिन ने प्राचीन ओलंपिक खेलों को फिर से जीवंत करने के लिए 23 जून 1894 को रैली की थी। इसी की याद में हर साल इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
23 जून अन्तर्राष्ट्रीय खेल दिवस पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन सहारनपुर की सामाजिक संस्था अभ्युदय द्वारा किया गया। जिसमे आॅन-लाईन तथा आॅफ-लाईन माध्यम से शारीरिक शिक्षाविद्व तथा खेल विशेषज्ञों ने संवाद कार्यक्रम मे भाग लिया। सभी ने स्वस्थ्य जीवन के लिए खेलों को एक औषधी तथा ऊर्जा का प्राकृतिक स्रोत मानकर इसे अपनाने पर बल दिया। युवाओं का आहवान करते हुये खेलों के प्रति उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए भी ओर बेहतर प्रयास एवं अवसर पैदा करने की जरूरत पर लब दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 दीपा सिंह ने तथा अध्यक्षता प्रो0 डी0एस0 राजपूत द्वारा की गई।

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