दीपक मिश्रा
हरिद्वार-10 सितम्बर स्वस्थ्य रहने के लिए खेल जरूरी है, परन्तु खिलाडी बनने का गुण भी सभी व्यक्तियों मे नही होता है। केवल प्रयास करने से खिलाडी बनना संभव नही है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के दयानंद स्टेडियम परिसर के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग मे छात्रों के साथ परिचर्चा मे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि सकारात्मक चिंतन खेल के कई आयामों को प्रभावित करता है। जिसके कारण मन के भाव बदलते है। खेल मे खेल भावना का विकास भी सकारात्मक चिन्तन का ही हिस्सा है। डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि शारीरिक शिक्षा केवल कुशल खिलाडी का निर्माण नही करती, अपितु खिलाडी के साथ बेहतर शारीरिक शिक्षक तैयार करती है, जो समाज को एक सन्तुलित एवं व्यवहार कुशल नागरिक प्रदान करता है। उन्होने छात्रों से परिचर्चा करते हुये अनेक प्रश्नों के समाधान सुझाए। स्वस्थ जीवन शैली के लिए सकारात्मक चिन्तन सबसे पहली आवश्यकता है। जो दैनिक जीवन की कई व्यक्तिगत एवं सामाजिक समस्याओं का समाधान प्रदान करती है। बी0पी0ई0एस0 प्रशिक्षु छात्रो ने समाज के बदलते स्वरूप एवं सामान्य समस्याओं के जटिल होने के कारणों पर प्रश्न एवं समाधान भी सुझाएं। परिचर्चा मे देवाशीष बिष्ट, अभिषेक शर्मा, उदय कुमार, निलांजन, सिविल राजपूत, ओमखत्री, आदित्य गौतम, अनुराग सिंह राणा, रजित भारद्वाज आदि ने भाग लिया।