दीपक मिश्रा
हरिद्वार, 18 सितम्बर। ज्वालापुर उपनगरी का प्रमुख सीता घाट पुल और गंगा घाट अपनी जर्जर हालत के कारण श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों के लिए जानलेवा खतरा बन चुका है। घाट की दीवारों में गहरी दरारें आ चुकी हैं। चबूतरे की टाइल्स उखड़ और धंस चुकी हैं। जबकि श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए बनाई गई सीढ़ियां टूट चुकी हैं। स्थानीय पुजारियों मोहित जोशी, पंडित पंकज शास्त्री और सीताराम जोशी ने बताया कि घाट की दीवारें कभी भी गिर सकती हैं। उन्होंने कहा कि कई बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासन घाट की मरम्मत को लेकर उदासीन है। बरसात के मौसम में हालात और बिगड़ने की आशंका है, जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
सीता घाट पर स्थित मंदिर में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए आते हैं। श्रद्धालु घाट की सीढ़ियों से होकर मंदिर तक पहुंचते हैं। इसके अलावा, गंगा स्नान के लिए भी बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। क्षतिग्रस्त सीढ़ियां और घाट की दीवारें कभी भी धराशायी हो सकती हैं, जिससे श्रद्धालुओं की जान को बड़ा खतरा है।
2005 और 2006 में भारत जागृति मिशन और व्यापार संघ मेन बाजार ने सीता घाट पर गंगा आरती के लिए एम्प्लिफायर, माइक सेट और लाउडस्पीकर लगाए थे, ताकि श्रद्धालु पूजा अर्चना और स्नान कर सकें। लेकिन पिछले दो वर्षों से लगातार मांग करने के बावजूद घाट की मरम्मत नहीं हो पाई है।
ज्वालापुर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सीता घाट इस इलाके का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण गंगा घाट है। लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते यह घाट जर्जर हालत में पहुंच गया है। स्थानीय निवासी और श्रद्धालु बारिश के मौसम में दीवार गिरने और हादसे को लेकर चिंतित हैं।
पंडित पंकज शास्त्री ने जनप्रतिनिधियों और संबंधित विभाग के अधिकारियों से अपील की है कि वे घाट की मरम्मत’ को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि बरसात के कारण हालात और खराब हो रहे हैं। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो बड़ा हादसा हो सकता है।