शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया

दीपक मिश्रा 

हरिद्वार यूनिवर्सिटी रूडकी के अंतर्गत टीचर्स आईकन उद्घोष शिक्षा का नया सवेरा तथा हरिद्वार यूनिवर्सिटी के रुड़की के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चतुर्थ अखिल भारतीय शैक्षिक विमर्श एवं शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें सम्पूर्ण भारत वर्ष से आए सम्मानित शिक्षक गणों का हरिद्वार यूनिवर्सिटी की ओर से पुष्प्गुच्छ एवं तिलक कर स्वागत किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के साथ-साथ उनकी साधारणता, क्षमता एवं उनके जज्बे तथा शिक्षा के प्रति उनका जुनून और ग्रामीण प्रतिभाओं को निकालने के सतत प्रयासों हेतु शिक्षक सम्मान 2025 से नवाजा गया। टीचर्स आइकन अवार्ड में शिक्षा कला संस्कृति भाषा क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षकों को चतुर्थ अखिल भारतीय शिक्षण विमर्श एवं सम्मान समारोह 2025 में संपूर्ण भारत के शिक्षकों में चयनित शिक्षकों को प्रदान किया गया। यह पुरस्कार ऐसे शिक्षको को सर्मपित है जिन्होने अपने बूते पर कार्य क्षेत्र में न सिर्फ उल्लेखनिये उपलब्धियॉ अर्जित की है अपितु यूनिवर्सिटी शिक्षार्थी समुदाय में ख्याति अर्जित कर शिक्षा के क्षेत्र में नये हस्ताक्षर बनकर उभरे है। अपने सच्चरित्रता एवं दृढ संकल्पशीलता से शिक्षा के जगत को गौरान्वित किया हैं शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे हमारी भावी पीढी में संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से सींचकर उन्हें शक्ति में निर्मित करते हैं। कर्नल अजय कोठियाल आज कैनाल रोड स्थित हरिद्वार में आयोजित चतुर्थ अ.भा. शैक्षिक विमर्श एवं शिक्षक सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।उदघोषरूशिक्षा का नया सवेरा व हरिद्वार यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में देश के विभिन्न राज्यो से आए 145 शिक्षको को “टीचर्स आईकन एवार्ड” तथा 20 शिक्षको को उनकी उल्लेखनीय शैक्षिक उपलब्धियों के दृष्टिगत “शिक्षाश्री” एवार्ड दिया गया।
इस अवसर पर पद्मश्री डा. प्रेम चन्द शर्मा ने कहा कि किसी राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं। विकसित, समृद्ध और खुशहाल देश व विश्व के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।उन्होने कम पानी से खेती की जानकारी भी प्रदान की।
इस मौके पर पद्म श्री कल्याण सिंह रावत (सेवानिवृत्त शिक्षक व मैती आन्दोलन के प्रणेता)ने कहा की आज कोई भी बालक 3-4वर्ष की अवस्था में विद्यालयी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ जाता है। इस बचपन की अवस्था में बालक का मन-मस्तिष्क एक कोरे कागज के समान होता है। इस कोरे कागज रूपी मन-मस्तिष्क में विद्यालयों के शिक्षकों के द्वारा शिक्षा के माध्यम से शुरूआत के वर्षाे में दिये गये संस्कार एवं गुण उनके सम्पूर्ण जीवन को सुन्दर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।उन्होने कहा कि समाज के वास्तविक शिल्पकार शिक्षक ही होते है। शिक्षाविद् व साहित्यकार डॉ.नंद किशोर नौटियाल ने कहा कि किसी शिल्पकार एवं कुम्हार की भाँति ही स्कूलों एवं उसके शिक्षकों का यह प्रथम दायित्व एवं कर्त्तव्य है कि वह अपने यहाँ अध्ययनरत् सभी बच्चों को इस प्रकार से संवारे और सजाये कि उनके द्वारा शिक्षित किये गये सभी बच्चे ‘विश्व का प्रकाश’ बनकर सारे विश्व को अपनी रोशनी से प्रकाशित कर सकें।बतौर विशिष्ट अतिथि पद्मश्री सेठ पाल सिंह(नवोन्मेषी कृषक)ने विद्यालय में किचन गार्डन कांसैप्ट की महत्ता व भूमिका की बाबत विस्तृत जानकारी देते हुए मौसमी सब्जी व ऑर्गेनिक गार्डन की जानकारी दी। समारोह की अध्यक्षता सी.ए. एस. के. गुप्ता (अध्यक्ष हरिद्वार यूनिवर्सिटी, रूड़की) ने करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी स्थापना का उद्देश्य विद्यार्थियों में जिज्ञासा और नवाचार का माहौल विकसित करना, ऐसे क्रांतिकारी अनुसंधान को प्रोत्साहित करना जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान करे और ज्ञान और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाए।उन्होने कहा कि हमारी यूनिवर्सिटी शिक्षा में एक समग्र दृष्टिकोण विकसित करना जो उच्चतम नैतिक मूल्यों के साथ व्यावसायिक उत्कृष्टता पर जोर देती है, तथा स्नातकों को अपने व्यवसायों में आदर्श बनने के लिए तैयार करती है।
उदघोषः शिक्षा का नया सवेरा के मंच से देश के अलग अलग राज्यों से आए नवाचारी शिक्षकों ,शिक्षा के क्षेत्र में अपने अनुभवों और विशिष्ट क्रियाकलापों से अपनी कक्षाओं में बच्चों के साथ विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों को रोचक और संदर्भ युक्त तथ्यात्मक तरीके से सीखने सीखने की मुहिम चला रहे शिक्षकों को नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में टीचर्स आइकॉन अवार्ड और शिक्षा श्री अवार्ड प्रदान किए गए,इस अवसर पर अतिथिगणों ने आईएसबीएन नंबर युक्त संजय शर्मा ‘वत्स’ के संपादन में नवप्रकाशित पुस्तक “उदघोषरूशिक्षा का नया सवेरा” का भी विमोचन किया। जिसमे नवाचारी शिक्षको के शोध आलेख,नवाचार,सक्सैस स्टोरी और कार्यानुभव,क्रियात्मक शोध प्रकाशित किए गए हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन संयोजक संजय वत्स और विनय प्रताप विनम्र द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम में वाईस चांसलर डॉ0 धर्मबीर सिह, प्रो0 वाईस चांसलर डॉ0 आदेश आर्य, डायरेक्टर डॉ0 विपिन सैनी, रजिस्ट्रार सुमित चौहान, प्रो0 जितेन्द्र चौधरी, प्रो0 संजना व प्रो0 निशा धीमान, शैफील्ड स्कूल के डायरैक्टर डीके शर्मा, नारसन विकास खंड के खंड शिक्षक संदीप शर्मा, संजय शर्मा, नितिन शर्मा,आलोक शर्मा, अनुभव गुप्ता, शरद शिववेदी ,जितेन्द्र चौधरी, हेमलता बलूनी, इकराम, केके शर्मा,अनु सिंघल,शरद शिववेदी,सुमन चौहान,मुकेश शर्मा,सुनील शर्मा, आदि ने सहयोग प्रदान किया तथा विश्वविद्यालय के सदस्यगण उपस्थित रहे।

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