दीपक मिश्रा
हरिद्वार, 25 अगस्त। ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत संचालित अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष द्वारा वित्तपोषित ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर रही है। यह परियोजना विशेष रूप से अल्ट्रा-पुअर श्रेणी की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर आत्मनिर्भरता की नई राह दिखा रही है।
इसका एक जीवंत उदाहरण लक्सर विकासखंड के कंकरखाता गांव की बीना हैं। दिव्यांग होने के कारण बीना के पास आजीविका का कोई निश्चित साधन नहीं था, जिससे उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। बीना संगम सीएलएफ के अंतर्गत आने वाले महिला शक्ति स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं। ग्रामोत्थान परियोजना की टीम ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान उनकी स्थिति को समझा। बीना ने टीम से एक प्रोविजन स्टोर खोलकर अपनी आजीविका शुरू करने की इच्छा व्यक्त की।
उनकी लगन और इच्छाशक्ति को देखते हुए, परियोजना ने उन्हें अल्ट्रा-पुअर गतिविधि के तहत सहयोग प्रदान किया। प्रोविजन स्टोर की कुल लागत 39,500 रूपए थी। जिसमें बीना ने 4,500 का अंशदान दिया और शेष 35,000 की धनराशि परियोजना द्वारा ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में प्रदान की गई।
इस वित्तीय सहायता से बीना ने अपना प्रोविजन स्टोर सफलतापूर्वक स्थापित कर लिया है। आज वह इस उद्यम के माध्यम से प्रति माह 5000 से 8000 तक की आय अर्जित कर रही हैं, जिससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण सम्मान के साथ कर पा रही हैं। बीना की यह कहानी उन अनगिनत महिलाओं के लिए प्रेरणा है। जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद आत्मनिर्भर बनने का सपना देखती हैं। ग्रामोत्थान परियोजना सही मायनों में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान कर उनके सपनों को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।