श्रवण सेवा शोध संस्थान व हिन्दी सेवा समूह का हिन्दी समारोह

दीपक मिश्रा 

हरिद्वार। राष्ट्रीय हिन्दी पखवाड़े के अन्तर्गत श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान, कृष्ण कृपा धाम और हिन्दी सेवा समूह के संयुक्त तत्वावधान में एक हिन्दी समारोह का भव्य आयोजन किया गया। श्रीकृष्ण कृपा धाम के सभागार में देर रात्रि तक चले इस कार्यक्रम के अन्तर्गत भारतभूषण वर्मा को ‘कैलाश चन्द हिन्दी सेवा सम्मान’, डा० मीरा भारद्वाज को ‘मंगलो देवी हिन्दी सेवा सम्मान’ तथा अपराजिता को ‘वागीशा हिन्दी सेवा सम्मान’ प्रदान किया गया। सर्वश्रेष्ठ हिन्दी प्रचार-वाक्य के लिए कवि, साहित्यकार तथा चेतना पथ के सम्पादक अरुण कुमार पाठक को सम्मानित किया गया।‌ साथ ही हाईस्कूल में हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को भी सम्मान-पत्र और उपहार भेंट किए गए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि विद्यालयी शिक्षा संयुक्त निदेशक एवं संस्कृत शिक्षा के निदेशक डा. आनन्द भारद्वाज, विशिष्ट अतिथि‌ डा. बाजश्रवा आर्य, निर्णायक मण्डल एवं संयोजक मण्डल द्वारा दीप प्रज्वलन तथा सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। शिविजय ने मधुर कण्ठ सरस्वती वन्दना का वाचन किया। वृन्दा शर्मा ने स्वागत सम्बोधन तथा दीनदयाल दीक्षित ने संस्थान का परिचय व उद्देश्यों के बारे में बताया। समारोह की अध्यक्षता गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने की‌।‌ कार्यक्रम‌ का संचालन डा. अशोक गिरि ने किया। डॉ० सुशील त्यागी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
‌‌‌‌‌      समारोह को सम्बोधित करते हुए स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में गीता की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला तथा हर देश की एक अपनी भाषा होती है, तो भारत की क्यों नहीं?‌ मुख्य अतिथि डा० आनन्द भारद्वाज ने संस्कृत और हिन्दी की कविताओं की कार्यशाला आयोजित करने की बात कही। विशिष्ट अतिथि डा० पंकज भारद्वाज ने कम से कम हस्ताक्षर हिन्दी में करने पर जोर दिया। डा० बाजश्रवा आर्य ने बताया कि आज हिन्दी पूरे देश की सम्पर्क भाषा है। डा. पुष्पारानी वर्मा ने हिन्दी की सभी विधाओं पर लेखन करने की बात कही। डा० एन० पी० सिंह ने भाषा के लिए व्याकरण के महत्व पर प्रकाश डाला। डा० मेनका त्रिपाठी ने प्रयोजनमूलक हिन्दी के विकास पर जोर देते हुए कहा, कि “चिकित्सा क्षेत्र और न्यायालयों में अभी हिन्दी का प्रचार -प्रसार होना शेष है।” डा. नरेश मोहन ने राजभाषा हिन्दी के स्वरूप से अवगत कराया। समारोह के मुख्य संयोजक एवं संचालक डा० अशोक गिरि ने कहा, “कि हिन्दी केवल हमारी मातृभाषा ही नहीं, अपितु हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।”
‌‌‌‌       समारोह में कविता पाठ भी हुआ, जिसमें हिन्दी भाषा, देशभक्ति, धार्मिक तथा सामाजिक विषयों पर रचना प्रस्तुत की गईं। काव्य पाठ करने वाले चयनित कवियों‌ में अरुण कुमार पाठक, देवेन्द्र मिश्रा, अरविन्द दुबे, डा. मीरा भारद्वाज, साधुराम‌पल्लव, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी’, अभिनन्दन ‘अभिरसमय’, डा. पुष्पा वर्मा, डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’, वृंदा शर्मा, अपराजिता ‘उन्मुक्त’, वृंदा वाणी आदि शामिल रहे।
समारोह के संयोजन में सुमित चौधरी, अनिरुद्ध भाटी, प्रवीण पाण्डेय, बादल गिरि ,चांद गिरि तथा मुरली नौटियाल की विशेष भूमिका रही। इसके अतिरिक्त समारोह में दीपक पंवार, सोमदत्त गिरि, पंकज गिरि, कुणाल गिरि, विशाल गिरि, संगीता राणा, अरविन्द मिश्र, डा. विजय त्यागी, प्रमोद वर्मा, अभिनन्दन गुप्ता तथा अनिकेत गिरि इत्यादि उपस्थित थे।

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