आत्मा का मूल गुण शान्ति है ओर शान्ति के लिए संकल्प शक्ति अहम योगदान रखती है।

दीपक मिश्रा 

हरिद्वार-22 सितम्बर-आत्मा का मूल गुण शान्ति है ओर शान्ति के लिए संकल्प शक्ति अहम योगदान रखती है। आत्म शक्ति के साथ ही सम्पूर्ण जगत रचनात्मक क्रियाकल्पों से संयुक्त रह सकता है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के दयानंद स्टेडियम परिसर के मेजर ध्यान चन्द सभागार मे खेलो मे विजुवलाईजेशन तथा मानसिक शक्ति विकास विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला मे विषय-विशेषज्ञ के रूप मे माउट-आबू के डा0 जगबीर सिंह ने कहाॅ कि भारतीय ज्ञान-परम्परा तथा आध्यात्मिक उन्नयन मे मेडिटेशन एक व्यवहारिक एवं मानसिक सक्रियता से जुडी प्रणाली है। उन्होने भावी शिक्षकों को सम्बोधित करते हुये कहाॅ कि किसी भी विचार को अमल मे लाने से पूर्व मन से सोचना तथा विजुवलाईज करने से नकारात्मक विचार तथा विफलता से बाहर निकलने मे मदद मिलती है। चेतन मन मे विचार 10 प्रतिशत तथा अवचेतन मन मे विचार 90 प्रतिशत सुरक्षात्मक स्थिति के लिए जिम्मेदार है। उन्होने शिक्षकों से अपील करते हुये कहाॅ कि मौन तथा आत्म-अवलोकन दैनिक दिनचर्या का हिस्सा होना जरूरी है। सुशील भाईजी ने कहाॅ कि मन, बुद्वि तथा शरीर प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण की सबसे बडी कुंजी है। बहन मीना ने मेडिटेशन के प्रेक्टिकल सत्र का संचालन करते हुये इससे होने वाले लाभ को रेखांकित किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुये डाॅ0 शिवकुमार चैहान ने कहाॅ कि आॅटोजेनिक प्रणाली व्यक्ति के कल्याण की सबसे महत्वपूर्ण युक्ति है। जिसका सभी को प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए। प्रभारी, शारीरिक शिक्षा एवं खेल डाॅ0 अजय मलिक ने अतिथियों का परिचय एवं स्वागत किया। कार्यशाला का शुभारम्भ वैदिक-मन्त्रोचार के साथ तथा समापन शान्ति पाठ से साथ सम्पन्न हुआ। कार्यशाला मे बहन मीना, डाॅ0 अजय मलिक, डाॅ0 शिवकुमार चैहान, डाॅ0 भारत वेदालंकार, बहन रजनी, डाॅ0 कपिल मिश्रा, डाॅ0 अनुज कुमार, डाॅ0 प्रणवीर सिंह, कमल सिंह नेगी, सुनील कुमार, अश्वनी कुमार आदि उपस्थित रहे।

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