दीपक मिश्रा
संस्कृत शिक्षा विभाग हरिद्वार द्वारा संस्कृत सप्ताह के उपलक्ष्य में आज हरिद्वार जनपद के सभी संस्कृत विद्यालयों/महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा ‘लोकहितं मम करणीयं’ इस ध्येय वाक्य को ध्यान में रखकर रक्तदान कार्यक्रम का आयोजन ऋषिकुल विद्यापीठ ब्रह्मचर्य आश्रम संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार में किया गया।
श्रावणी पूर्णिमा से 3 दिन पूर्व और तीन दिन पश्चात तक संस्कृत सप्ताह का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता रहा है प्रदेश की द्वितीय राजभाषा संस्कृत के प्रचार प्रसार एवं उसके संरक्षण संवर्धन के लिए सप्ताह भर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन होता है इसी कड़ी में संस्कृत शिक्षा विभाग हरिद्वार के सभी संस्कृत विद्यालयों महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा संस्कृत सप्ताह के उपलक्ष्य में रक्तदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग जिला अस्पताल की मेडिकल टीम द्वारा रक्त संग्रह किया गया साथ ही संस्कृत के छात्रों का रक्त परीक्षण भी किया गया। इस अवसर पर 35 यूनिट से ज्यादा रक्त एकत्रित किया गया।
इस अवसर पर संस्कृत शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक डॉ वाजश्रवा आर्य ने रक्तदान के विषय पर छात्रों एवं कर्मचारियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि संस्कृत के छात्र किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं संस्कृत समाज के सभी लोग राष्ट्र,समाज के हर क्षेत्र में अपनी अग्रणी भूमिका का निर्वहन करें।
रक्तदान महादान है समाज में आज संवेदनशीलता की न्यूनता आ रही है जिसे संस्कृत के लोग ही आमजन को संवेदनशीलता के लिए प्रेरित कर सकते हैं। आज समय की आवश्यकता है कि हर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के काम आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक विचार ही समाज को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्र की सेवा करने के लिए हमें आगे आना ही होगा इसमें संस्कृत के छात्रों को भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।
इस अवसर पर डॉ बलदेव प्रसाद चमोली, डॉ वाणी भूषण भट्ट, डॉ राजेंद्र गौनियाल, डॉ प्रेरणा गर्ग, डॉ नवीन चन्द्र पन्त, डॉ प्रकाश चंद्र जोशी, डॉ कुलदीप पंत, डॉ जनार्दन प्रसाद कैरवान, डॉ श्यामलाल गौड़, डॉ जीवन आर्य, राकेश, अतुल चमोला, तुलसी प्रसाद लखेड़ा, प्रकाश तिवारी, चूड़ामणि परगांई, देवी दत्त कांडपाल, हीराबल्लभ बेलवाल, महेश बहुगुणा, भास्कर शर्मा, मनोज शर्मा, डॉ भारती पंत,चंपा जोशी, गीता जोशी, उमा सहित अन्य छात्र उपस्थित रहे।