दीपक मिश्रा
संस्कृत सप्ताह के समापन अवसर पर जनपद हरिद्वार में “संस्कृताय धावनम्” (RUN FOR SANSKRITAM )संस्कृत के लिए दौड़ कार्यक्रम का आयोजन ऋषिकुल विद्यापीठ ब्रह्मचर्य आश्रम संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार से हर की पौड़ी तक किया गया।
संस्कृत सप्ताह के अवसर पर हरिद्वार जनपद के सैकड़ों छात्र अपने-अपने विद्यालयों से जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् के जय घोष लगाते हुए ऋषिकुल विद्यापीठ मालवीय प्रांगण पर पहुंचे छात्रों का उल्लास देखते ही बन रहा था।कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, हरिद्वार के नगर विधायक मदन कौशिक संस्कृत भारती प्रदेश संगठन मंत्री गौरव शास्त्री, संस्कृत शिक्षा उपनिदेशक डॉ पद्माकर मिश्र, पतंजलि योगपीठ के संत आदित्य देव एवं संकल्पदेव, गरीबदासीय साधु संस्कृत महाविद्यालय के रवि देव शास्त्री, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा डॉ वाजश्रवा आर्य, ऋषिकुल विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ बलदेव प्रसाद चमोली ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन से किया। शुभारंभ अवसर पर आचार्य महेश बहुगुणा द्वारा वेद मंत्रों का वाचन किया गया। इस अवसर पर संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ वाजश्रवा आर्य ने प्रस्ताविक उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार एवं संरक्षण के लिए सामूहिक भूमिका का महत्वपूर्ण योगदान है उन्होंने कार्यक्रम के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए सभी संस्कृत प्रेमियों, संस्कृत छात्रों, आचार्यों, प्रबंधकों एवं संस्कृत शिक्षा से जुड़े हुए अधिकारियों को एक साथ संस्कृत के विकास के बारे में सोचना होगा। उन्होंने संस्कृत शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने एवं कार्य योजना को क्रियान्वित करने का आग्रह किया उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा विशिष्ट एवं अद्वितीय शिक्षा है जिसमें ज्ञान विज्ञान के साथ ही संस्कार एवं संस्कृति विद्यमान है जो आज की आवश्यकता भी है।
प्रदेश की द्वितीय राजभाषा के विकास के लिए सभी की महती भूमिका है उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि संस्कृत के लिए अपना पल-पल क्षण क्षण सकारात्मक ऊर्जा के साथ संस्कृत के विकास हेतु लगाना है।
उसके बाद ऋषिकुल विद्यापीठ के प्रांगण में अतिथियों के स्वागत सत्कार के उपरांत अतिथियों ने धावकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
संस्कृत के धावक हर्षोल्लास के साथ ऋषिकुल विद्यापीठ से मालवीय चौक, देवपुरा अग्रसेन चौक, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, शिव मूर्ति चौक, बाल्मीकि चौक अपर रोड होते हुए हर की पैड़ी पर पहुंचे संस्कृत भाषा में जय घोष करते हुए छात्र अपर रोड को गुंजायमान करते हुए दौड़ लगा रहे थे तो तीर्थ यात्री,पर्यटक टक टकी लगाते हुए छात्रों को अपने मोबाइल से कैद कर रहे थे। हरि की पैड़ी पर भी संस्कृतमय वातावरण देखकर सैलानी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने लगे।
हर की पैड़ी पर दौड़ सभा के रूप में परिवर्तित हो गई सभा को संबोधित करते हुए हरि की पैड़ी गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने स्वागत भाषण किया उन्होंने अतिथियों के स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी के साथ संस्कृतियों की भी जननी है अतः संस्कृत में ही संस्कृति निहित है विश्व को मार्गदर्शन करने की क्षमता संस्कृत भाषा में है आओ मिलकर संस्कृत भाषा के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रचार, प्रसार में अपनी अपनी महती भूमिका का निर्वहन करें।
गंगा सभा के अधिकारियों द्वारा अतिथियों का स्वागत एवं स्मृति चिन्ह देखकर सम्मान किया गया। सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश के संस्कृत शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृत विशुद्ध भाषा होने के साथ ही पूरे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम् की भावना के साथ एक सूत्र में पिरोने की क्षमता रखती है साथ ही इस प्रदेश की द्वितीय राजभाषा होने के कारण हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार संस्कृत के विकास के लिए नित नए प्रयास कर रही है आज संस्कृत विनियम आने से संस्कृत के नए विद्यालयों को मान्यता एवं नियुक्ति के दरवाजे खुल गए हैं शोध छात्रों को प्रतिवर्ष ₹ तीस हजार प्रदान किया जा रहा है साथ ही संस्कृत के मेधावी छात्रों को भी छात्रवृत्ति से सम्मानित किया जा रहा है संस्कृत अकादमी के माध्यम से प्रत्येक खंड स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है साथ ही विद्यालयों महाविद्यालयों को फर्नीचर एवं उपकरण खरीदने के लिए भी आर्थिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहली बार संस्कृत शिक्षा में भी एस.सी. एस.टी. के छात्रों को छात्रवृत्ति का प्रावधान किया गया है आने वाले समय में संस्कृत के विकास में और महत्वपूर्ण कार्य होने बाकी हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत का छात्र अपने को हीन भावना से ना देखें जिस तरह आज संस्कृत के छात्र दौड़े हैं संस्कृत शिक्षा विभाग एवं मंत्रालय भी उसी गति से दौड़ने के लिए कटिबद्ध है।
अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए नगर विधायक मदन कौशिक ने कहा कि संस्कृत देववाणी है देववाणी के विकास के लिए प्रदेश सरकार संकल्पबद्ध है आने वाला समय संस्कृत के छात्रों का है जब दुनिया के अंदर सुपर कंप्यूटर की डिमांड बढ़ेगी तो उस समय संस्कृत के छात्रों की आवश्यकता निश्चित रूप से बढ़ जाएगी उन्होंने संस्कृत छात्रों से आह्वान किया कि संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में बराबर की पकड़ रखें जिससे आने वाले समय में संस्कृत का छात्र किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहे। आयोजन समिति के सदस्य डॉक्टर नवीन पंत ने बताया कि हरिद्वार के 15 विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के पांच सौ से अधिक छात्र,आचार्य, प्राचार्य उपस्थित रहे साथ ही पौड़ी जनपद के संस्कृत धावकों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
अंत में गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया एवं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि संस्कृत की सेवा के लिए गंगा सभा हर क्षण तैयार रहेगी उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा विभाग एवं संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय के प्रयास की सराहना की जानी चाहिए जिन्होंने संस्कृत के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों की योजना रचना की इसके लिए उन्होंने संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ वाजश्रवा आर्य को साधुवाद दिया।
सभा को आचार्य करुणेश मिश्र, संस्कृत भारती के गौरव शास्त्री, पतंजलि योगपीठ के संत आदित्य देव, गरीबदासीय संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक रविदेव शास्त्री, डॉ निरंजन मिश्र आदि ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर प्रकाश जोशी, डॉक्टर कुलदीप पंत ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए स्वागत समिति, जलपान समिति, मार्ग व्यवस्था समिति, सुरक्षा समिति के सदस्यों ने अपने कर्तव्यों का समुचित रूप से पालन किया।
इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष संदीप गोयल, विकास तिवारी,उप जिलाधिकारी अजयवीर सिंह, मुख्य शिक्षा अधिकारी के के गुप्ता, मुख्य चिकित्साधिकारी,डॉ बलदेव प्रसाद चमोली, डॉ सोहनलाल बलूनी, डॉ प्रेरणा गर्ग, डॉ शिवानी विद्यालंकार, डॉ सर्वेश तिवारी, डॉ भगवान झा, डॉ वाणी भूषण भट्ट, डॉ राजेंद्र गौनियाल, घनश्याम उनियाल,डॉ रवीश तिवारी,डॉ चंद्र भूषण शुक्ला, डॉ महावीर गैरोला, आचार्य हेमंत तिवारी, डॉ नारायण पंडित, प्रकाश तिवारी, भगवती विजल्वाण,सागर झा, डॉ श्यामलाल गौड़, डॉ अतुल चमोला, डॉ आनन्द फर्त्याल, उमा जोशी, भारती पंत,चम्पा जोशी, गीता जोशी,ललिता चौहान , नचिकेता आर्य, सभ्यता सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।