प्रकृति के कण-कण में विराजमान है मां आदि शक्ति-स्वामी कैलाशानंद गिरी

दीपक मिश्रा 

हरिद्वार, 18 अक्तूबर। दक्षिण काली मंदिर में आयोजित नवरात्र महोत्सव में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां दक्षिण काली के दर्शन पूजन व निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंच रहे हैं। नवरात्र साधना कर रहे स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने देवी भगवती के चैथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना की और सभी के कल्याण की कामना करते हुए कहा कि मां आदि शक्ति प्रकृति के कण-कण में विद्यमान है। नौ नवरात्रों में मां आदि शक्ति के ही विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा के रूप में मां आदि शक्ति सभी संकटों का निवारण करती है। काली के रूप में काल और अंहकार का नाश करती है। सरस्वती के रूप में साधक को ज्ञान प्रदान करती है। लक्ष्मी के रूप में अपने भक्तों को धन संपदा प्रदान करती है। मां जगदंबा सभी स्वरूपों में अपने भक्तों का कल्याण करती है। उन्होंने कहा कि नवरात्र मां आदि शक्ति को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करने का सबसे उत्तम अवसर हैं। सभी को नौ दिनों तक मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना करनी चाहिए। प्रथम पूज्य भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा के बिना कोई भी अनुष्ठान पूर्ण नहीं होता है। इसलिए मां दुर्गा के साथ भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की आराधना भी अवश्य करनी चाहिए। इस अवसर पर स्वामी अंवतिकानंद ब्रह्मचारी, बालमुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, आचार्य पवन दत्त मिश्रा, आचार्य प्रमोद पांडे, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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