तन और मन का स्वस्थ सम्बंध ही परमात्मा से साक्षात्कार का सबसे उपयोगी साधन है।

दीपक मिश्रा

 

हरिद्वार-25 अक्टूबर तन और मन का स्वस्थ सम्बंध ही परमात्मा से साक्षात्कार का सबसे उपयोगी साधन है। स्वस्थ सम्बंध भौतिक विकार रहित एवं स्वभाव मे सकारात्मक चिंतन से हासिल हो सकता है। तेजी से बदलते मानसिक व्यवहार के इस युग मे तन और तन का सम्बंध स्वस्थ रखना किसी चुनौति से कम नही है। गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने एक कार्यशाला मे बतौर मुख्य वक्ता यह बात कही। सकारात्मक चिन्तन एवं मानसिक व्यवहार विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आज दिनांक 25.10.2023 को प्रातः 11ः00 बजें सामाजिक संस्था अभ्युदय द्वारा सहारनपुर मे आयोजन किया गया। कार्यशाला मे डॉ0 चौहान ने कहॉ कि भौतिक साधन व्यक्ति के जीवन मे आंशिक आनन्द एवं आवश्यकताओ की पूर्ति करने का बेहतर उपाय है। समय की आधुनिकता ने भौतिक साधनों के स्वरूप एवं आम आदमी के उपयोग मे तेजी से बदलाव करके जीवन की कठिनाईयों को बढाने का काम किया है। शोध द्वारा यह सिद्व हुआ है कि भौतिक साधन आंशिक प्रसन्नता प्रदान करते है। जिसके प्रभाव मे व्यक्ति आनन्द के वास्तिविक स्वरूप से विमुख होकर तन और मन के स्वस्थ सम्बंध को बिगाड रहा है। सकारात्मक चिन्तन एवं मानसिक व्यवहार की प्रबलता से जीवन मे वास्तिविक आनन्द को प्राप्त करने मे मदद मिल सकती है। कार्यशाला मे शोध-छात्रों ने अनेक समस्याओं का समाधान प्राप्त किया। कार्यशाला मे प्रो0 दिग्विजय सिंह, प्रो0 विक्रम देव सिंह, डॉ0 अरूण कुमार, डॉ0 प्रीति वर्मा, डॉ0 अभिलाषा, डॉ0 किरन सिंह आदि उपस्थित रहे। कार्यशाला की अध्यक्षता डॉ0 रमेश सिंह एवं संयोजन डॉ0 अभिलाषा द्वारा किया गया।

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