दीपक मिश्रा
जनवरी स्वास्थ्य की चुनौतियों को कम करने के लिए खेल एक प्राकृतिक साधन है। उम्र के पडाव मे भी खेल एक प्रभावी एवं कारगर उपाय है। प्रत्येक उम्र के व्यक्ति को अपने जीवन मे खेल से जुडे रहने का प्रयास करते रहना चाहिए। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि अभ्युदय संस्था द्वारा आयोजित कार्यशाला मे विषय प्रवर्तक के रूप मे यह बात कही। युवा बने रहने के प्राकृतिक एवं प्रभावी उपाय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र मे विषय प्रवर्तक के रूप मे डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि जीवन मे तनाव सभी बीमारियों का मुख्य कारण है। तनाव के कारण शरीर की शारीरिक एवं मानसिक स्थिति पर गहरा दुष्प्रभाव पडता है। फलस्वरूप जीवन मे खुश रहने तथा खिल-खिलना के अवसर कम होने लगते है तथा दिनभर के क्रियाकलापों के कारण मृत होने वाली कोशिकाओं की संख्या मे बढोŸारी होने के कारण युवा चेहरा मुरझाने लगता है। डॉ0 चौहान ने कहॉ कि खेल एकमात्र प्राकृतिक उपाय है, जो व्यक्ति के जीवन मे खुश रहने तथा खिल-खिलाने के अवसर बरकरार रखते है। अपेक्षाकृत मृत-कोशिकाओं की संख्या मे कमी से व्यक्ति युवा बना रहता है। कार्यशाला मे सुझाव देते हुये डॉ0 चौहान ने कहॉ कि युवा बना रहना हर दिल की चाहत होती है, लेकिन खेल से जुडाव के प्रति लगाव कम रहता है। आधुनिकता की तेज रफतार जिंदगी मे शरीर तथा मनःस्थिति को सम्भाले रखने के लिए खेल सबसे प्रभावी एवं कारगर युक्ति है। खेल ही युवा रहने का मूलमंत्र है। यह स्वास्थ्य के खर्चो को कम करके जिंदगी की चुनौतियों को कम करता है। कार्यशाला मे आयुर्वेद, योग, फिजियोथैरेपी तथा चिकित्सा जगत के विशेषज्ञ उपस्थित रहे। कार्यशाला का शुभारम्भ आयुर्वेदाचार्य डॉ0 जगत राम, संस्था अध्यक्ष प्रो0 रमेश शर्मा द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया। संचालन डॉ0 दीपिका सिंह तथा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 कुलदीप चौहान द्वारा किया गया।