दीपक मिश्रा
हरिद्वार-09 मार्च व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके समग्र गुण-दोष से तैयार होने वाला ब्लूप्रिन्ट है। जिसका समग्र विश्लेषण ही व्यक्तित्व का निर्माण करता है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग मे व्यक्तित्व पर गुण दोष का प्रभाव एवं उत्तम व्यक्तित्व निर्माण पर छात्रों के लिए परिसंवाद का आयोजन किया गया। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने बतौर मुख्य वक्ता प्रशिक्षु छात्रों के साथ संवाद करते हुये कहॉ कि बदलते परिवेश मे संस्कार एवं संस्कृति के संरक्षण मे उत्तम व्यक्तित्व निर्माण किसी चुनौती से कम नही है। खेल सीमित समय मे व्यक्तित्व के छिपे अनेक पहलुओं को उजागर करके उसके गुण-दोष से व्यवहार मे होने वाले परिवर्तन तथा प्रभाव से रू-ब-रू कराने की सरलतम युक्ति है। प्रशिक्षुओं के प्रश्नों के उत्तर देते हुये एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि जीवन के अच्छे बुरे अनुभव तथा रोज होने वाले उतार-चढाव की पटकथा खेल के माध्यम से बेहतर समझी जा सकती है। किसी व्यक्ति की शारीरिक बनावट तथा लिबास को देखकर व्यक्तित्व से तुलना करना गलत है। वाहय तथा आन्तरिक गुण-दोष के प्रभाव तथा विषम परिस्थिति मे उचित निर्णय की क्षमता के आधार पर व्यक्तित्व की गणना की जा सकती है। कभी कभी व्यक्ति व्यवहार के प्रभाव से विचलित होकर व्यक्तित्व का नुकसान कर लेता है, जिसकी भरपाई करके पुनः सन्तुलित व्यक्तित्व को प्राप्त करना जटिल हो जाता है। प्रशिक्षु छात्रों को सन्तुलित व्यक्तित्व बनाये रखने के लिए दिये सुझाव मे डॉ0 चौहान ने कहॉ कि व्यवहारोन्मुख तथा अपनी क्षमताओं को पहचान करके परिस्थतियों के साथ प्रतिक्रिया करने का साहस करने से ही मजबूत व्यक्तित्व प्राप्त किया जा सकता है। परिसंवाद मे एम0पी0एड0 तथा बी0पी0ई0एस0 के प्रशिक्षु छात्रों ने भाग लिया। प्रभारी, शारीरिक शिक्षा डॉ0 अजय मलिक ने व्यक्तित्व को व्यक्ति का मस्तिष्क तथा व्यवहार को बुद्वि का स्वरूप मानने की बात कही।