दीपक मिश्रा
कारीगर की कुशलता एवं दक्षता मे ज्ञान एवं तकनीकि उपकरणों का प्रयोग बेहतर जीवन यापन के लिए मिल का पत्थर साबित हुआ है। परम्परागत एवं पीढियों से जुडे कार्यो ने विश्व पटल पर भारत का गौरव एवं आर्थिक मुद्रा बढाकर अमिट छाप अंकित की है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने मॉ शाकुम्भरी देवी विश्वविद्यालय के शोध नवागन्तुक छात्रों के लिए आयोजित व्याख्यानमाला के अवसर पर व्यक्त किये। डॉ0 चौहान ने कहॉ कि शोध की दिशा मे तकनीकि उपकरणों का प्रयोग नवाचार के लिए एक क्रान्ति बनकर आया है। सामान्य स्तर पर कौशल विकास ने परम्परागत कार्यो को नई पहचान देकर आत्म-निर्भर भारत के सपने साकार किये है। वही शोध मे प्रयुक्त होने वाले उपकरणों की जटिलता का स्थान छोटे छोटे स्टार्ट-अप के माध्यम से कम समय मे बेहतर परिणाम देने वाले सिद्व हुए है। कहॉ कि बेहतर शोध परिणाम के लिए पहले समयावधि अधिक, खर्च ज्यादा तथा सीमित परिणाम ही प्राप्त होते थे, लेकिन तकनीकि ज्ञान एवं उपकरणों के उपयोग ने बेहतर शोध परिणाम के साथ कम समयावधि, कम खर्च तथा व्यापक परिणाम से आम जन मानस के जीवन मे रोचक बदलाव लाकर देश की विकासगति को कई गुना बझा दिया है। डॉ0 चौहान ने कहॉ कि डिजिटल डाटाबेस, साफ्टवेयर तथा ए0आई0 ने शोध की प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बनाकर प्रस्तुत किया है। जिसका उपयोग युवा पीढी बेहतर ढंग से करके रोजगार परक एवं आत्म निर्भर भारत की ओर बढ रही है। शोध मे युवाओं की बढती रूचि एक सकारात्मक कल की पहचान बन रहा है। व्याख्यानमाला का संचालन कोर्डिनेटर डॉ0 संदीप कुमार गुप्ता ने किया। शोध छात्रों ने बेसिक रिसर्च मे टूल्स की उपयोगिता विषय की सराहना की।