दीपक मिश्रा
हरिद्वार। संस्कार, साहित्य और कला को समर्पित संस्था सुधा स्वर भारती, धामपुर (बिजनौर) के तत्वावधान में आज स्थानीय पुरुषोत्तम विहार, कनखल में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें पंचपुरी के चुनिंदा आमंत्रित रचनाकारों ने विभिन्न रसों से सराबोर रचनाओं का पाठ करके ख़ूब वाहवाही लूटी।
नगर की अग्रणी साहित्यिक संस्था ‘पारिजात साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष सुभाष मलिक की अध्यक्षता तथा अनिल शर्मा के कुशल संचालन में आयोजित इस गोष्ठी का आरम्भ डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित’ की मातृ वंदना ‘लेशमात्र क्लेश शेष रहे ना कहीं, काव्यरस बहे सदा, रहे नहीं प्रवंचना’ के साथ हुई। इसके उपरान्त चेतना पथ के संपादक अरुण कुमार पाठक ने अपना लोकप्रिय गीत ‘रे पथिक तू चल, तेरी दूर नहीं मंज़िल’, डा. प्रमोद शर्मा ‘प्रेम’ की कविता ‘कोई हादसा न हो जाये, कोई इंतिहा न हो जाये’, दिनेश चन्द्र अग्रवाल ‘नवीन’ ने ‘जब नहीं हैं दिल में मेरे भावनाएं, तब मैं दीपक जला कर क्या करूंगा’, सुभाष मलिक ने ‘मेरा मन चला गाँव की ओर’, डा. सुशील कुमार त्यागी ने ‘बढ़ना संभल संभल के, मंजिल बड़ी कठिन है’ प्रस्तुत की।
दीपशिखा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की अध्यक्षा डा. श्रीमती मीरा भारद्वाज ने ‘खिड़की वाले दांतो की ताली पर नाचे बुलबुला, खुशियाँ बाँटो जीवन में, है समझाता बुलबुला’ तथा ओजस्वी युवा कवि अरविन्द दुबे ने ‘बहुत पा लिया है, सबर कीजियेगा’ सुना कर ख़ूब तालियाँ बटोरी। गोष्ठी में सम्मिलित सभी रचनाकारों को सुधा स्वर भारती द्वारा ‘सुधा अग्रवाल सम्मान’ तथा मोतियों के हार से सम्मानित किया गया।