दीपक मिश्रा
हरिद्वार, 3 जुलाई। बाबा वीरभद्र सेवाश्रम न्यास के परमाध्यक्ष जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरि महाराज ने गुरु पूर्णिमा के पर्व पर श्रद्धालु भक्तों को बताया कि भारतीय सनातन धर्म और संस्कृति में गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है। गुरु को महत्व देने के लिए ही महान गुरु वेद व्यास जी के जन्मोत्सव पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन भगवान शिव द्वारा अपने शिष्यों को ज्ञान दिया गया था। उन्होंने कहा कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि माता और पिता अपने बच्चों को संस्कार देते हैं, पर गुरु सभी को अपने बच्चों के समान मानकर ज्ञान देते हैं। गुरु और शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए। एक विद्यार्थी के जीवन में गुरु अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। गुरु के ज्ञान और संस्कार के आधार पर ही उसका शिष्य ज्ञानी बनता है। गुरु की महत्ता को महत्व देते हुए प्राचीन धर्मग्रन्थों में भी गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान बताया है। एक व्यक्ति गुरु का ऋण कभी नहीं चुका पाता है। गुरु मंदबुद्धि शिष्य को भी एक योग्य व्यक्ति बना देते हैं। संस्कार और शिक्षा जीवन का मूल स्वभाव होता है, इनसे वंचित रहने वाला व्यक्ति का जीवन अंधकारमय होता है।