गुरू की कृपा से प्राप्त होते हैं ध्यान, ज्ञान, धैय और कर्म-श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह

दीपक मिश्रा 

 

हरिद्वार, 3 जुलाई। कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में गुरू पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा के साथ मनाया गया। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज सहित अखाड़े के सभी संतों व भक्तों ने निर्मल अखाड़े के परमाध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज का पूजन कर आशीर्वाद लिया। शिष्यों व भक्तों को आशीवर्चन प्रदान करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि गुरू बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती और ज्ञान बिना आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं है। ध्यान, ज्ञान, धैय और कर्म सब गुरू की कृपा से ही प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की महान गुरू परंपरा है। अखाड़े के संतों ने सदैव समाज को ज्ञान व अध्यात्म की प्रेरणा देकर सदमार्ग पर अग्रसर करने में अहम भूमिका निभायी है। सभी को सद्गुरू के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में हमेशा से गुरु का विशेष स्थान रहा है। गुरू ही ज्ञान रूपी प्रकाश से शिष्य के अंतर्मन के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर उसके कल्याण का मार्ग निश्चित करता है। उन्होंने कहा कि पूज्य गुरूदेव श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के सानिध्य में अखाड़े के संत विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज कल्याण में योगदान कर रहे हैं।

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