दीपक मिश्रा
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित ज्ञानकुंभ का हुआ शुभारंभ।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सानिध्य में देव संस्कृति विश्वविद्यालय एवं देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय ज्ञानकुम्भ हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के भव्य सभागार में प्रारंभ हुआ।
मुख्य कार्यक्रम से पूर्व आत्मनिर्भर भारत प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉक्टर धन सिंह रावत ने किया
ज्ञान कुंभ के शुभारंभ के अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल भाई कोठारी, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉक्टर चिन्मय पंड्या, देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति अमन बंसल,भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ पंकज मित्तल, शिक्षा संस्कृति उत्थान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ ए. विनोद, ज्ञान कुंभ के राष्ट्रीय संयोजक संजय स्वामी,क्षेत्रीय संयोजक ज्ञान कुंभ हरिद्वार के जगराम द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा कुलगीत के माध्यम से माध्यम का सत्कार किया गया।
कार्यक्रम के प्रस्ताविक उद्बोधन में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने बताया कि शिक्षा बचाओ आंदोलन की शुरुआत 2004 में हुआ था। केंद्र में सत्ता में परिवर्तन के बाद शिक्षा का पहला विचार आया। शिक्षा के अंतर्गत मातृ भाषा, संस्कृति एवं चरित्र निर्माण पर काम करना शुरु हुआ। शिक्षा के क्षेत्र में 12 निर्णय लिए गए। शुरुआत में 6 आध्यात्मिक विषय पर कार्य किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को एक मंच मिलना चाहिए इसी सोच के साथ ज्ञानकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भारत को वापस से विश्वगुरु बनाने के लिए जिस दिशा की जरुरत है उसे दिशा को देने के लिए एवं भारत की ज्ञान परंपरा को वापस लाने के लिए ज्ञानकुंभ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन गया था रहा है। इस श्रृंखला में चार ज्ञानकुंभ का एवं एक महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा जिसकी शुरुवात देव संस्कृति विश्वविद्यालय से हो रही है। ज्ञानकुंभ के माध्यम से यह कल्पना की जा रही है कि देश एवं समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे ले जाया जाए ।
देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात करते हुए भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल ने ज्ञानकुंभ की विशेषताएं बताई। उन्हांने इस संदर्भ में अपने विश्वविद्यालय में सबसे पहले सेंटर ऑफ सोसाईटी एण्ड प्रोफेशन खोला जो समाज के विकास पर काम करता था। इसके अंतर्गत जो उन्होंने सिखा है वे समाज के लिए उसका उपयोग करेंगे। उन्होंने इसके साथ ही साथ महिलाओं को आगे बढ़ाने का कार्य किया जिसमें उन्हांने शेल्फ हेल्प की स्थापना की। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सभी विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर काम करना चाहिए, तभी आत्मनिर्भर भारत बन पाएगा।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने संचारों में परिवर्तन की व्याख्या करते हुए कहा कि संचारों के बदलने के बाद से ही देश में कई परिवर्तन आए। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास संस्कार एवं व्यवहार का देश है। भारत जगद् गुरु महापुरुषों के कारण ही बना है। लोग जायदात समेट लेते हैं किंतु विरासत ही है जो अंत तक रहती है। आत्मनिर्भरता से ही समाज के लिए कुछ अच्छा करने की ईच्छा होती है।
मुख्य अतिथि डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि जो हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति में देख रहे हैं उसमें बहुत बड़ी भूमिका शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की है उन्होंने कहा की देसंविवि में भारतीय ज्ञान परंपरा चरितार्थ होता हुआ दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि वे 8 वर्षों से शिक्षा मंत्री रह चुके हैं और कई बार यहां आ चुके हैं। देश के लगभग 250 विश्वविद्यालयों में शिक्षा समारोह में वे गए हैं किंतु यहां आकर जो अनुभव उन्हें होता है वैसा और किसी विश्वविद्यालय में नहीं होता। उन्होंने बताया कि हमारे उत्तराखंड में 400 डिग्री कॉलेज, 21000 से ज्यादा स्कूल हैं। शिक्षा ही इस देश में क्रांति ला सकती है। हमें सामाजिक कार्यों से विश्वविद्यालयों को जोड़ना चाहिए। उन्हांने अपना विचार रखते हुए कहा कि हमारे द्वारा क्षेत्र में एक ऐसी लाईब्रेरी बनाई जाएगी जिससे आम छात्र लाभान्वित हो सकें।
5वें ज्ञानकुंभ पूर्ण होने के बाद अपने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में वे इसकी सफल चीज़ें लागू करेंगे। साथ ही साथ पुस्तक अभियान के तहत कई लाख पुस्तकें बाटी हैं। उन्होंने कहा विश्वविद्यालयों को सामाजिक कार्यों से जोड़ने का भी कार्य करेगा यह महाकुंभ। देसंविवि के कुलपति ने कार्यक्रम में आये हुए सभी माननीय अतिथिगणों और अन्य विश्वविद्यालयों के आये हुए विद्वानों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं गंगा जली भेंट किया गया। ज्ञान कुंभ में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति,शिक्षा संस्थानों के निदेशक, अकादमियों के सचिव, कुलसचिवों के साथ ही विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के प्राध्यापक, शोधार्थी छात्र उपस्थित रहे।
इस अवसर पर स्वागत समिति के महामंत्री संजय चतुर्वेदी, गिरीश कुमार अवस्थी, डॉ आनन्द भारद्वाज, डॉ वाजश्रवा आर्य,शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत संरक्षक डॉ नीरज तिवारी, प्रांत अध्यक्ष डॉ विनोद कुमार, प्रांत संयोजक डॉ अशोक मैन्दोला,सह संयोजक डॉ नवीन पंत, डॉ अनुज कुमार, डॉ संदीप शर्मा, डॉ पंकज कुमार,क्षेत्रीय संयोजक अलंकार वशिष्ठ, डॉ आनन्द फर्त्याल, डॉ हिमांशु पंडित, राकेश डोभाल, चन्द्र प्रकाश पांडेय, आदि मौजूद रहे।