नगर निगम चुनाव में दावेदारों की लंबी लिस्ट 

दीपक मिश्रा 

 

मेयर चुनाव सत्ताधारी दल में दावेदारों की भीड़ कौशिक खेमे के दावेदार सबसे अधिक क्या कांग्रेस दोहरा पाएगी इतिहास नगर निगम चुनाव जिनमें दिसंबर माह तक होने की संभावना है और उसके लिए सभी राजनीतिक दलों ने कमर कसनी प्रारंभ कर दी है और सभी दलों के संभावित प्रत्याशियों को लगता है कि अबकी बार में आसानी से चुनावी वैतरणी को पार कर लेंगे और इसके लिए उन्होंने अभी से रणनीति बनाने प्रारंभ कर दी है यदि हम राजनीतिक दलों की बात करें तो सबसे ज्यादा मारामारी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी में दिखाई पड़ती है भाजपा में मेयर पद के प्रत्याशियों की एक लंबी फौज दिखाई पड़ती है इन दावेदारों ने अपने हाई कमान से हरी झंडी मिलने के उपरांत चुनावी तैयारी को अमली जामा पहनाने की कवायत प्रारंभ कर दी है प्रत्याशियों की बात करें तो शहर विधायक मदन कौशिक के खेमे से पूर्व सभासद सुभाष चंद्र पूर्व मंडल अध्यक्ष राजकुमार अनिरुद्ध भाटी अनु कक्कड़ विकास तिवारी नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष सुनील गुड्डू और अचानक धूमकेतु की तरह उभरी एक पूंजी पति की पत्नी का नाम सम्मिलित है वही कौशिक खेमा कुछ नाम को छुपा कर चल रहा है जिसका खुलासा अचानक कर विरोधियों को चित करने की रणनीति है कौशिक खेमा अबकी बार वर्ग विशेष को आगे करने की रणनीति पर भी विचार कर रहा है जो वर्ग बहुत लंबे समय से राजनीतिक भागीदारी की मांग कर रहा है वही कौशिक ग्रुप ने मेयर पद आरक्षित होने की स्थिति में भी अपनी रणनीति को अमली जामा पहनने की कवायत प्रारंभ कर रखी है जिसमें ओबीसी कोटे से पूर्व सभासद सुभाष चंद्र को चुनावी तैयारी में जुड़ जाने को नगर विधायक ने कहा है वहीं महिला आरक्षण की स्थिति में पूंजी पूंजीपति की पत्नी व पार्षदपार्षद किरण जैसल सपना शर्मा अनु कक्कड़ पूर्व मंडल अध्यक्ष कामिनी के नाम पर भी विचार प्रारंभ कर दिया है वहीं दूसरी खेमे से पूर्व विधायक संजय गुप्ता जो काफी समय से नगर में विभिन्न आयोजनों और विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को सामग्री बताकर अपनी घुसपैठ बनाने में लगे हुए हैं और जिसका सकारात्मक परिणाम उन्हें दिखाई भी दे रहा है और मुख्यमंत्री खेमे का आशीर्वाद मानकर संजय गुप्ता को लगता है टिकट अंत में उन्हीं को मिलेगा पूर्व मेयर मनोज गर्ग विशाल गर्ग अनिल अरोड़ा हरजीत सिंह भी अपने उच्च संपर्कों के दम पर टिकट प्राप्त करने का स्वप्न वाले हुए हैं सांसद खेमे की बात करें तो वैसे तो सांसद त्रिवेंद्र रावत पूर्णतया कौशिक खेमे के साथ हैं परंतु वरिष्ठ भाजपा नेता विमल कुमार की ओर भी उनका झुकाव हो सकता है क्योंकि विमल कुमार से उनकी निकटता जग जाहिर है

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