दीपक मिश्रा
गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के द्वारा सात दिवसीय धरोहर सप्ताह का उद्घाटन समाहरोह 19 नवम्बर 2024 को भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, परंपरा और धरोहर के संरक्षण एवं संवर्धन को प्रोत्साहित करना था।
कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्वविद्यालय की कुलपति हेमलता के, कुलसचिव सुनील कुमार एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जीतेन्द्र कुमार सिंह, संदीप गोयल, आशु चौधरी और प्रो० प्रभात कुमार, प्रो० देवेन्द्र कुमार गुप्ता द्वारा दीप प्रज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो० सुनील कुमार ने मुख्य अतिथियों का स्वागत सत्कार किया। सम्पूर्ण इतिहास विभाग को इस सात दिवसीय धरोहर सप्ताह में होने वाले कार्यक्रमों के लिए अग्रिम शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आर्य समाज भी एक धरोहर है। और भविष्य में गुरुकुल एक महत्त्वपूर्ण संसथान केंद्र बनेगा, जो भारत को विश्वगुरु बनाने में अपनी अहम् भूमिका निभाएगा।
प्रो० दिलीप कुशवाहा जी ने इस कार्यक्रम की योजना के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस धरोहर सप्ताह का उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को समझना और उसे संजोकर रखना है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस आयोजन के मुख्य आयाम संरक्षण, परिरक्षण एवं संवर्धन हैं।
जिलाध्यक्ष संदीप गोयल जी ने कहा कि हमारी विरासत अत्यंत समृद्धि और इसे संरक्षित करने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस तरह के कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार होना चाहिए और उन्होंने ढेरों बधाई देते हुए कहा कि हरिद्वार में पहली बार विश्व धरोहर सप्ताह का कार्यक्रम गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में हो रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री श्री जितेंद्र नारायण सिंह ने अपने संबोधन में कहा की संस्कृति और धरोहर को सहेजने और संवारने में हमारे पूर्वजों का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपनी धरोहर के साथ-साथ अपने पूर्वजों को भी हमेशा स्मरण में रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा की धरोहर को मिटाने वालों की कोई पहचान या स्थान नहीं होता। साथ ही उन्होंने अपने द्वारा बनाई गई ‘फिल्म द डायरी ऑफ़ वेस्ट बंगाल’ का भी जिक्र किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० हेमलता के. ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि गुरुकुल एक ऐतिहासिक धरोहर स्थान है, जहां वेद, विज्ञान और योग्य तथा अन्य विषयों की शिक्षा दी जाती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया की सांस्कृतिक धरोहर हमारी पहचान का अभिन्न अंग है। उन्होंने दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मदुरई स्थित मीनाक्षी मंदिर और चिदंबरम मंदिर का उल्लेख करते हुए भारतीय संस्कृति की समृद्धि पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन डॉ० हिमांशु पंडित द्वारा किया गया। उनके दिशा निर्देशन में अतिथियों का स्वागत किया गया एवं उन्होंने बताया कि अतिथियों की स्वागत परंपरा भी हमारी एक धरोहर है। आने वाले सप्त दिवसीय कार्यक्रम में नए- नए अतिथियों से छात्र-छात्राएं रुबरु होंगे एवं अतिथियों के स्वागत की अपनी परंपरा को विश्व विद्यालय की तरफ से निभाएंगे।
इस कार्यक्रम में मौजूद शोधछात्र पूजा, दीपक कुमार, भानु प्रताप डंगवाल, विकास कुमार महावर एवं छात्र-छात्राएं जिसमें मानसी भार्गव, शालिनी राय, रुद्राक्षी त्रिपाठी, राहुल सिंह जयाला, मयंक सैनी, प्रांजल, गौरव कुमार, नितेश, लेखराज, अंकित, क्षितिज, अभय, अनुराग कुमार आदि मौजूद रहे एवं कार्यक्रम को सफल बनाया।