दीपक मिश्रा
हरिद्वार, 13 दिसम्बर। कनखल स्थित मृत्युजय मठ के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी यमुनापुरी महाराज के शिष्य स्वामी वैराग्य पुरी ने उन पर आश्रम से लाखों रूपये की नगदी और कीमती सामान चोरी करने के आरोपों को निराधार और झूठा बताते हुए अपने गुरु पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
प्रैस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी वैराग्य पुरी महाराज ने कहा कि उन पर स्वामी यमुनापुरी ने चोरी के जो आरोप लगाए हैं, वह सब निराधार झूठे और बेबुनियाद हैं। स्वामी वैराग्य पुरी ने कहा कि वह स्वामी यमुनापुरी के आश्रम लौटने के अगले दिन राजस्थान स्थित सालासर बालाजी धाम में अनुष्ठान के लिए गए थे। जाने से पहले उन्होंने मैसेज कर स्वामी यमुनापुरी को इसके बारे में बताया था। लेकिन स्वामी यमुनापुरी ने उन पर चोरी का झूठा आरोप लगाकर मुकद्मा दर्ज करा दिया। जिसके बाद अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। जहां स्वामी यमुना पुरी के अधिवक्ता चोरी के सुबूत होने के दावे करते रहे। लेकिन न्यायालय के समक्ष कोई सुबूत प्रस्तुत नहीं कर पाए। जिस पर न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर स्टे दे दिया है। जिसके बाद उन्होंने कनखल थाने में अपने बयान दर्ज कराए हैं।
स्वामी वैराग्य पुरी महाराज ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्वामी यमुना पुरी के आश्रम में सभी प्रकार के अनैतिक कार्य किए जाते हैं। जिस कारण से उन्हें लाईलाज बीमारी ने घेरा हुआ है। जिसका वर्ष 2017 से उपचार चल रहा है। बताया कि स्वामी यमुना पुरी पूर्व में महानिर्वाणी अखाड़े के संत थे। उनके अनैतिक कार्यों की वजह से अखाड़े ने उन्हे हरियाणा स्थित अरूणायल मठ, ऋषिकेश स्थित चन्द्रेश्वर महादेव मंदिर से बाहर का रास्ता दिखाया। इसके बाद वे जूना अखाड़े की शरण में गए। स्वामी यमुना पुरी को जूना अखाड़े ने महंत घोषित किया हुआ है, जबकि वह स्वंय को महामण्डलेश्वर लिखते हैं। स्वामी वैराग्य पुरी ने बताया कि उन्होंने कई बार स्वामी यमुनापुरी को समझाने का प्रयास किया। लेकिन उनके नहीं मानने पर उन्होंने अलग होने का फैसला किया और आश्रम छोड़ दिया। जिस पर स्वामी यमुनापुरी ने उन पर चोरी के झूठे आरोप लगा दिए। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। जिसमें पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी।