दीपक मिश्रा
कोविड के बाद मानसिक स्वास्थ्य आमजन मानस के लिए सबसे बडी चुनौती बनकर उभरा है। मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक जीवनशैली से पडने वाला प्रभाव अनेक मानसिक बीमारियों का कारण बन रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बडी चुनौती है, बी0पी0डी0 (बार्डरलाईन पर्सनाल्टी डिसआर्डर)। बचपन मे दुर्व्यवहारए परित्याग या कठिनाई जैसी दर्दनाक घटनाओं का अनुभव करना जिसके कारण दूसरों को अस्थिरए अमान्य संबंधों या संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने यह विचार वर्चुअल माध्यम से एसोशियसन ऑफ साईकॉलोजिस्ट, दिल्ली द्वारा मनोविज्ञान- मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहारिक जीवन मे चुनौतियॉ विषय पर आयोजित कार्यशाला मे व्यक्त किये। डॉ0 चौहान ने कहॉ कि जीवन मे तनाव को गलत ढंग से रियेक्ट करने की आनुवंशिक प्रवृत्ति बी0पी0डी0 (बार्डरलाईन पर्सनाल्टी डिसआर्डर) का मुख्य कारण है। इससे प्रभावित व्यक्ति मे सामावर्ती व्यक्तित्व विकार के साथ साथ अन्य मानसिक विकारों की संभावना 70 प्रतिशत तक बढ जाती है। डॉ0 चौहान ने बताया कि शोध के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि बीपीडी एक व्यक्तित्व विकार हैए जिसका ऐतिहासिक रूप से वयस्कों में निदान किया गया है। साक्ष्यों के एक महत्वपूर्ण समूह से पता चलता है कि बच्चों और किशोरों में 18 वर्ष की आयु से पहले बीपीडी विकसित होना संभव है। क्योंकि किशोरों मे व्यक्तित्व विकासक्रम चल रहा होता है। जबकि युवा लोगों को वयस्क मानने से पहले कई बदलावों से गुजरना पडता हैप्
बार्डरलाईन पर्सनाल्टी डिसआर्डर जैसी मानसिक बीमारी मे व्यक्ति मे तीव्र और अत्यधिक परिवर्तनशील मनोदशाए खालीपन की भावनाएँ। अनुचितए तीव्र क्रोध या क्रोध को नियंत्रित करने में समस्याएँ। पृथक्करण की भावनाएँए जैसे स्वयं से कटा हुआ महसूस करनाए स्वयं को अपने शरीर के बाहर से देखनाए या असत्यता की भावनाएँ जैसे अनेक लक्षण दिखाई देते है। जिनसे बचाव के लिए डॉ0 चौहान ने अपने सुझाव मे कहॉ कि वास्तविक या काल्पनिक परित्याग से बचने के लिए उन्मत्त प्रयास। अन्य लोगों के साथ लगातार प्रगाढ़ और अस्थिर संबंधए उन्हें आदर्श बनाने और उनका अवमूल्यन करनप्।
कार्यशाला मे दिल्ली तथा एन.सी.आर. क्षेत्रों के मनोवैज्ञानिक, चिकित्सक एवं शोध क्षेत्र से जुडे विद्वान उपस्थित रहे। एसोशियसन के अध्यक्ष प्रो0 वी. कृष्णरेडडी ने कार्यशाला की अध्यक्षता की वर्चुअल कार्यशाला का संचालन प्रो0 विनीत शर्मा द्वारा तथा आभार ज्ञापन प्रो0 सुदेश कृष्णमूर्ति द्वारा किया गया। कार्यशाला मे 75-80 लोग उपस्थित रहे।